सोमवार, 31 दिसंबर 2012

'आकार' की वार्षिक प्रदर्शनी 2012


अब पहले सा उत्साह नहीं
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला क्षेत्र में राजस्थान में सर्वाधिक सक्रीय माने जाने वाले ग्रुप 'आकार' की वार्षिक प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर कला केंद्र की दो कलादीर्घाओं में आयोजित हुई। हर साल अपने उल्लेखनीय उत्साह के लिए खास पहचान कायम करने वाले इस आयोजन में इस साल इसी प्रमुख तत्व का अभाव था। शायद यही कारण रहा कि हर साल की तरह जुटने वाले कला प्रसंशक इस बार बहुत कम नजर आए। यहां तक की उद्धाटन के अवसर पर भी आकार के सदस्यों के अलावा जुटे लोगों की संख्या एक दर्जन का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी।
हर साल इस प्रदर्शनी में प्रदेश के साथ देश के कुछ कलाकारों का नया काम देखने की ललक में दर्शकों की खासी संख्या आती है। कुछ एक को छोड़कर कमोबेश सभी कलाकारों के काम में मामूली रद़दों-बदल के साथ नयापन था, लेकिन कुछ ने स्वयं को पूरी तरह दोहराया। नए कलाकारों के काम को बेहतर सराहना मिली। दर्शको की राय के मुताबिक प्रदर्शनी में शामिल काम और कलाकारों की समीक्षा चार स्तरों पर की गई।

बिग ब्रशेश के नए तेवर
डा. अनुपम भटनागर जो अभी तक चटक रंगों से राजस्थान के किले और कठपुतलियों तक सिमटे थे इस बार शुद्ध समकालीन विषयों के साथ कैनवास पर नजर आए। बीच में बच्चियों के बचपन से गुजरते हुए साल के अंत में इस प्रदर्शनी में युवकों के उन चश्मों से युवतियों को देखा है जैसा उन्होंने फारवर्ड राजधानी से बेकवर्ड बांसवाडा तक महसूस किया। प्रहलाद शर्मा की कृतियों के रंग पहले की तरह आंखों को भाने वाले हैं। वृक्षों और सूर्य की लपट हो या धरती की जल मग्रता सब पहले सा है, लेकिन  उनकी स्त्री आकृति के तेवर कुछ बदले हैं।

अब वह मस्तय कन्या के रूप में विदेशी अंदाज में नजर आ रही है। कृतियों में प्रहलाद हमेशा की तरह बोल रहे हैं। अनिल मोहनपुरिया की कृतियों में टैक्सचर से झांकती आकृतियां पहले से अधिक स्पस्ट हुई हैं। उमा शर्मा मथुरा के घाटों से निकल कर अब मंदिरों पर अपने कोलाज बना रही हैं। फूलेरा के रमेश शर्मा मूर्त से अमूर्त की ओर बढ़ रहे हैं। जयपुर की शैला शर्मा के मोरपंख अब मोर की आकृति लेने लगे हैं। डा. सुरेश प्रजापति के आध्यात्मिक रंग अब और गहन होते जा रहे हैं। दिनेश कुमार मेघवाल   भी परिवर्तन की ओर बढ़ते लग रहे हैं।
वो जो नहीं बदले
लक्ष्यपाल सिंह राठौड़  की कृतियों में नया जैसा कुछ नजर नहीं आया, लेकिन यह लगता रहा कि उनकी अभिनव शैली लम्बी रेस के लिए है। डा. अमित राजवंशी, डा. अशोक कुमार दीक्षित, निरंजन कुमार, देवेन्द्र कुमार खारोल, पुष्पकांत मिश्रा, विनय त्रिवेदी, राजाराम व्यास, शिवराज सिंह, सुनील बम्बल.
वे जो नहीं दिखे
आकार की वार्षिक प्रदर्शनी में हर साल अपने काम के लिए दर्शकों की चर्चा में रहने वाले कुछ वरिष्ठ कलाकार इस साल की प्रदर्शनी में नजर नहीं आए। इनमें गुडग़ांव की रागिनी सिन्हा, अजमेर की प्रिया राठौड़ व जितेन्द्र कुमार प्रमुख हैं। आते-जाते रहने वाले अनियमित कलाकारों में सौरभ भट्ट, चन्द्रशेखर सैन व राजेश हर्ष जैसे नाम भी याद किए गए। 
नव आगंतुक
अजमेर के सचिन साखलकर, दिल्ली के किरिट छत्री व हितेन्द्र सिंह भाटी, उदयपुर की अर्चना टेलर व रवीन्द दाहिमा आकार के प्रदर्शन में पहली बार नजर आए। जबकि लखनऊ की नीता कुमार की दो-तीन साल वापसी हुई है।

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