शनिवार, 28 दिसंबर 2013

Aakar

एक बड़े सपने का 'आकार' 
युवा चितेरों को अपनी भावाभिव्यक्ति के लिए मंच मिले। उन्हें अपनी कला को और प्रखर करने के लिए कला दर्शकों की टिप्पणियों से प्रोत्साहन मिले। उनकी कला प्रदेश से बाहर निकल कर देश और विदेश में प्रदर्शन के जरिए पहचान बना सके। इसी सोच के साथ लगभग दो दशक पूर्व राजस्थान की तीर्थ नगरी अजमेर में 'आकार' ग्रुप की स्थापना की गई। आकार के रूप में अपनी सोच को स्थापित करने वाले थे अजमेर डी.ए.वी. कॉलेज के चार युवा विद्यार्थी सुभाष कुल्हेड़ी, लक्ष्यपाल सिंह राठौड़, महेश खारोल और प्रहलाद शर्मा।
एक बड़े सपने को परवान चढ़ाने के लिए इन चार युवा दृष्ट्रियों की उड़ान तो तैयार थी, पर नेतृत्व नहीं था। आकार को सही नेतृत्व मिल सके और युवा सोच साकार हो सके इसलिए इन चारों ने अपने शिक्षक डा. अनुपम भटनागर से आकार के अध्यक्ष पद को संभालने की अपील की। शिष्यों के आग्रह को डा. भटनागर आज तक आकार के अध्यक्ष रूप में निभा रहे हैं।
पांच चित्रकारों के समूह के रूप में स्थापित आकार का आकार समय के साथ विस्तार पाता गया। अजमेर की सीमा से निकल कर उसने राज्य के विभिन्न नगरों और फिर देश की राजधानी तक अपनी उड़ान भरी। अब देश की व्यवसायिक राजधानी मुंबई सहित अन्य अनेक नगरों तक आकार पंख पसार चुका है। आकार के सदस्यों की कलाकृतियों के विदेशों में हुए प्रदर्शन भी उल्लेखनीय है। देश के विभिन्न हिस्सों से इसके साथ जुड़े कलाकारों और कला प्रदर्शनों की अच्छी-खासी संख्या इसकी पुष्टि करती है। 
गुरू और शिष्यों के द्वारा आरंभ हुए आकार की जो सबसे बड़ी विशेषता मुझे लगती है, वह गुरू-शिष्य परम्परा का सार्थक पोषण है। आकार की दूसरी बड़ी विशेषता- इस ग्रुप के अधिकांश सदस्यों का व्यवसायिक पेंटर न होकर कला शिक्षक होना है। नई पौध को कला का क ख ग बताते हुए सच्चे कलाकार गढऩा, साथ ही अपनी कला साधना को निभाते चलना। कुल मिलाकर 'आकार' कला जगत में भारतीय चित्रकला के क्षेत्र में एक ऐसा पथ तैयार कर रहा है जिस पर भविष्य की समूची कला अपने कदमों को और अधिक साध सके।
-राहुल सेन

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