बुधवार, 11 दिसंबर 2013

अनंत आकाश सी संभावनाएं

अपनी पेंटिंग दिखाते हुए जगदीश 

कुछ और निखरा जगदीश व राहुल का काम  
मूमल नेटवर्क, जयपुर। नि:शक्तजन की एक दायरे में सिमटी दुनियां में अनंत आकाश सी संभावनाएं देखते रहने वाले संवेदनशील चित्रकार जगदीश प्रसाद मीणा ने एक बार फिर अपनी कृतियों में इसी विषय पर अपनी नई अभिव्यक्तियां कैनवास पर उकेरी हैं। इस बार जगदीश की सोच और बड़ी और विचार अधिक परिपक्व नजर आ रहे हैं। इसी के साथ नए हस्ताक्षरों के साथ राहुल उषाहरा ने अपनी कूंची को प्रकृति के साथ एक-मेक किया है।
जवाहर कला केंद्र की सुकृति आर्ट गैलेरी में 7 से 11 दिसम्बर तक चली इस चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ राजस्थान विश्वविद्यालय की पूर्व डीन ओर जगदीश की कला गुरू प्रोफेसर कमला गर्ग ने किया। पिछले दिनों राजस्थान यूनिवर्सिटी के चित्रकला विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद तक पहुंचे जगदीश प्रसाद मीणा और अभी अपनी कला शिक्षा में लीन भ्राता राहुल उषाहरा ने अपनी पेंटिंग्स में अपने नए तेवर दिखाएं हैं। जगदीश नें चिरपरिचित नीले रंग में नि:शक्तजन की दुनियां दर्शाते हुए यह व्यक्त किया है कि आकाश के इस रंग में अनंत अतंरिक्ष है। यही वजह है कि सभी पेंटिंग्स नीले रंग में बनाई गई हैं। मानव का दुखी जीवन संघर्ष, नि:शक्त बच्चों की मानसिक पीड़ा व गर्भावस्था में नारी की मानसिक अवस्था को विषय बनाकर अपनी बात कही है। वहीं रहुल ने प्राकृतिक दृश्यों, खेत-खलिहानों के बीच बिजूके बनाकर अपनी बात कहने के नए आयाम चुने हैं। ऑयल, एक्रेलिक, वॉटर, चारकोल, पेंसिल से बनी इन पेंटिंग्स को दर्शकों की बेहतर सराहना मिली। ग्रासरूट लेवल पर अपनी जड़े बताते हुए हरे बांस के तन पर विभिन्न नामों का लिखा जाना हो या खेत में लगाए गए बिजूके में महिला वस्त्रों का उपयोग कर नारी की भागीदारी दर्शाना, कमांबेश सभी कृतियों में युवा मन की बात रंगों की भाषा से कही गई है।
राहुल अपनी पेंटिंग  के साथ 


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