बुधवार, 15 जनवरी 2014

कला मेले में कई कलाकारों का नया काम

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के वार्षिक कला मेले में प्रदर्शन के लिए इस बार अनेक कलाकारों ने रात-दिन एक करके नई कलाकृतियां तैयार की हैं। इनमें से कुछ की जानकारी मूमल तक पहुंची है। इनमेंं वरिष्ठ कलाकार डा. रीता पाण्डे, श्वेत गोयल और डा. मणि भारतीय शामिल हैं।

सामान्यतह वर्ष में केवल एक बार अपना काम प्रदर्शित करने वाली डा. रीता पाण्डे ने इस बार अपनी नाइफ पेंटिंग्स में प्राकृतिक दृश्यों को बखूबी उकेरा है। प्रदेश में नाइफ पंटिंग्स जैसे कठिन माध्यम से काम करने वाली वे एक मात्र वरिष्ठ कलाकार हैं। इस बार कला मेले में वे अपने आधा दर्जन से अधिक नई कृतियों के साथ उपस्थित होंगी।

पेपर कोलाज केजरिए प्रकृति के भाव व्यक्त करने वाली डा. मणि भारतीय ने इस बार समुद्र के शांत और रौद्र दोनों रूपों को संजोया है, वहीं पहाड़ों के गंभीर फैलाव को भी कुशलता से कतरनों में कसा है। रंगों की छटा से अमूर्त को दर्शाने में माहिर श्वेत गोयल ने अब अपनी कलाकृतियों में हल्के आकार उभार कर नया जादू जगाने का प्रयास किया है। जबकि शीतल चितलांगिया की कृतियों में मनमोहक आकार के साथ रिक्त में रचेे गए भावों की रेल-पेल नजर आएगी।

भीलवाड़ा के प्रतीक कुमावत अपनी पुरस्कृत कृतियों 'जीवन संगनीÓ व 'इजिप्सियनÓ के साथ नजर आएंगे। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी राहुल उषावरा हाल ही तैयार एक सीरीज की दो पेंटिंग्स प्रदर्शित करेंगे, लेकिन पिछले दिनों राजस्थान ललित कला अकादमी से पुरस्कृत राहुल की कृति कला मेले में नहीं देखी जा सकेगी।

रविवार, 5 जनवरी 2014

माँ बनाती थी रोटी

माँ बनाती थी रोटी 
पहली गाय की , 
आखरी कुत्ते की
एक बामणी दादी की
एक मेथरानी बाई की
हर सुबह सांड आ जाता था
दरवाज़े पर गुड़ की डली के लिए
कबूतर का चुग्गा
किडियो का आटा
ग्यारस, अमावस, पूर्णिमा का सीधा
डाकौत का तेल
काली कुतिया के ब्याने पर तेल गुड़ का सीरा

सब कुछ निकल आता था
उस घर से , जिसमें विलासिता के नाम पर एक टेबल पंखा था

आज सामान से भरे घर में
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों के